१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१६७)
पद:-
सतगुरु करो मिटै सब मेख। अन्धे कहैं कटै बिधि लेख॥
सारी सृष्टि में निज को देख। निज में सारी सृष्टि को देख॥
धरो न कोई झूठा भेष। पासै भजन कि मिलै न रेख॥
पढ़ि सुनि कितने देते लेख। हरि की लीला अगम अलेख।८।
पद:-
सतगुरु करो मिटै सब मेख। अन्धे कहैं कटै बिधि लेख॥
सारी सृष्टि में निज को देख। निज में सारी सृष्टि को देख॥
धरो न कोई झूठा भेष। पासै भजन कि मिलै न रेख॥
पढ़ि सुनि कितने देते लेख। हरि की लीला अगम अलेख।८।