१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१८९)
पद:-
बिरथा समय जो खोता। वह खाय जग में गोता॥
पढ़ि सुनि बना जो तोता। वह है अजा क पोता॥
मन नाम संग नोता। वह कर्म दोनो जोता॥
जो चेतिगा न सोता। अन्धे कहैं वह होता।४।
पद:-
बिरथा समय जो खोता। वह खाय जग में गोता॥
पढ़ि सुनि बना जो तोता। वह है अजा क पोता॥
मन नाम संग नोता। वह कर्म दोनो जोता॥
जो चेतिगा न सोता। अन्धे कहैं वह होता।४।