२७१ ॥ श्री नन्हें शाह जी ॥
(मुकाम शाहबाद)
पद:-
चोरन के गुरु थानेदार।
लै लै आवो धरि धरि जावो तब हम करैं शुमार।
चोरी करौ औ डाका मारौ होय न बाँको बार।
मारौ काटौ बाँधि बहावौ सरिता ताल मँझार।
कोई बोलि सकै नहिं तुमसे हम खुद हैं रखवार।५।
झूँठे को हम साँच बनावैं साँच को झूँठ में डार।
अन्त समय यम लेने आवैं तब को सकै सम्हारि।
डारि नर्क में करैं मरम्मत तड़फ़ौ करौ गोहारि।
कानन सुना औ आँखिन देखा नन्हें कहैं पुकारि।
या से चेति भजन में लागौ पाप होंय जरि छार।१०।