साईट में खोजें

२८४ ॥ श्री नारद जी के शिष्य ॥

॥ श्री सालिक राम जी गोवा यानी अहीर॥

(काशीपुरी के बासी)

 

दोहा:-

ॐ नमो भगवते बासुदेवाय।

द्वादश अक्षर मंत्र यह जाय जपौ हरखाय॥

यही मंत्र ध्रू ने जपा अचल गये पद पाय।

नारद कह मेरा बचन मानि जपौ मन लाय॥

अमित शक्ति इस मंत्र में शेष न सकत बताय।

एक सहस मुख में लगी दुइ सहश्र रसनाय॥

दस माला की जाप में चारि घड़ी लगि जाय।

दस दिन की जप में तेरे घट के पट खुलि जाँय॥

जप जब पूरा ह्वै गयो बानी नभ ते आय।

अजर अमर तुम को किया निर्मल तुम पुत्राय।५।

 

पद:-

दस झाँकी मम सन्मुख छाई।

सियाराम प्रिय श्याम रमा हरि शिव गिरिजा सुख दाई।

हनुमति गणपति संग बिराजैं कर जोड़े मुस्क्याई।

छबि सिंगार छटा की शोभा शेष न सकत बताई॥

सुर शक्ती सब दर्शन देते उर में बिहँसि लगाई।५।

 

अमृत घट से टपकै पावों अनहद सुनो बधाई॥

नागिन जगी चक्र षट चलते सातौं कमल फुलाई।

एक सहस अरतालिस किसिम की महक स्वरन ते आई।

सब लोकन में जाय की शक्ती सत्य कहौं मैं पाई।

हर शै से धुनि राम नाम की रं रं रं भन्नाई।१०।

 

 

क्षुधा तृषा औ शीत ऊश्न नहिं व्यापै नेकौ आई॥

धनुष बान मुरली कर सोहत शंख चक्र गदा पदुम स्वहाई।

कर त्रिशूल डमरु है बाजत शब्द शब्द गिनि पाई॥

बक्र तुंड के भुज हैं सोरह सब में अस्त्र चमकाई।

दहिनी बगल में गदा दबाये हनुमति परत देखाई।

सालिकराम कहैं नर नारी भजन करौ बनि जाई।१६।

 

दोहा:-

मनु सतरूपा ने जप्यो यही मंत्र मन लाय।

तब दसरथ जी के यहाँ जन्मे चारिउ भाय॥

नैमिष क्षेत्र कहत उसे जग में है सरनाम।

चक्र तीर्थ औ गोमती बार बार परनाम॥

अवधपुरी पावन पुरी छइउ पुरीन की जान।

सालिक राम कहैं सही नारद कीन बखान।३।